क्या राष्ट्र संघ आतंकी मजूद अज़हर की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकेगा
आखिर भारत की मेहनत रंग लाई और अपनी कुटनीति के चलते पाकिस्तानी आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवा दिया जबकि भारत राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का सदस्य भी नहीं है।यह उपलब्धि महत्वपूर्ण है। भारत की इस मांग पर सुरक्षा परिषद के महत्वपूर्ण सदस्यों अमेरिका,फ्रांस,ब्रिटेन,रूस ने मिल कर राष्ट्र संघ से इस आशय का प्रस्ताव पास करवा दिया है।अमेरिका इसे अपने कूटनीति की सफलता बता रहा है जबकि भारत इसे अपने कुटनैतिक प्रभाव का दबाव बता रहा है।
आखिर भारत की मेहनत रंग लाई और अपनी कुटनीति के चलते पाकिस्तानी आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करवा दिया जबकि भारत राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का सदस्य भी नहीं है।यह उपलब्धि महत्वपूर्ण है। भारत की इस मांग पर सुरक्षा परिषद के महत्वपूर्ण सदस्यों अमेरिका,फ्रांस,ब्रिटेन,रूस ने मिल कर राष्ट्र संघ से इस आशय का प्रस्ताव पास करवा दिया है।अमेरिका इसे अपने कूटनीति की सफलता बता रहा है जबकि भारत इसे अपने कुटनैतिक प्रभाव का दबाव बता रहा है।
चीन ने राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में मसूद अज़हर को आतंकी घोषित करवाने के लिए भारत के प्रयासों का विरोध तीन बार किया और पाकिस्तान का समर्थन करता रहा ताकी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी ना बनवाकर पाकिस्तान से दोस्ती का इजहार किया जा सके। चीन ने कई मंचों पर यह बताया है कि पाकिस्तान से उसकी दोस्ती पक्की है और वह पाकिस्तान का घनिष्ठ मित्र है। चीन ने कहा है कि वह पाकिस्तान के मूल हितों की रक्षा करता रहेगा.
चीन की पाकिस्तान से दोस्ती का मुख्य कारण क्या हो सकता है । चीन भारत को पाकिस्तान के माध्यम से दबाकर रखना चाहता है ताकि भारत पर चीन की तरफ से अप्रत्यक्ष दबाव बना रहे। दूसरी तरफ अपने उत्पाद को बेचने के लिए चीन पाकिस्तान को भी एक बेहतरीन बाजार समझता है। बाजार भारत में भी है लेकिन भारत में यदा-कदा चीनी सामान के उपयोग का विरोध होता रहता है। पाकिस्तान की खस्ता अर्थव्यवस्था देखते हुए चीन मौके का फायदा उठा रहा है और कई तरीकों से पाकिस्तान की मदद कर रहा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से 'आर्थिक गलियारा निकालना', बिगड़ी हुई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बड़ी मात्रा में ऋण देना शामिल है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर का ऋण दिया है।
एक और कारण जिसके लिए चीन पाकिस्तान से दोस्ती बनाए हुए है वह है ईस्लामिक सहयोग संगठन जिसमें पाकिस्तान चीन के हितों की रक्षा करता रहता है।
आखिर यह मसूद अज़हर है कौन? क्या चाहता है यह आतंकी सरगना भारत से। यह खूंखार आतंकी भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है और विश्व में भी 'अल कायदा' तथा विश्व के अन्य आतंकवादी संगठनों जैसे कि 'आईएस', तालिबान व अन्य इस्लामिक आतंकवादी संगठनों से संबंध बनाए हुए हैं। वह विश्व भर में इन संगठनों के लिए धन एकत्र करता है व आतंकियों को भर्ती कर उन्हें प्रशिक्षण देता है। मसूद अज़हर भारत में मुसलमानों को धर्म के नाम पर जहाद करने के लिए प्रेरित करता है। वह चाहता है कि कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान के साथ मिलाया जाए। इस संदर्भ में इस आतंकी ने भारत में मुबंई के 6/11, पठानकोट एयर बेस, भारतीय संसद व अन्य कई आतंकी हमले करवाएं। इसके साथ हाल ही में पुलवामा में आतंकी हमले की भी जिम्मेवारी ली जिसमे 40 जवान शहीद हुए थे ।
वैश्विक आतंकी घोषित होने का सीधा सा अभिप्राय यह होता है कि प्रतिबंधित आतंकी की सारी संपत्तियां पकड़ ली जाती हैं। उसकी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है, कोई भी देश उसको हथियार नहीं बेच सकता ना हथियार खरीद सकता है ना ही वित्तीय सहयोग कर सकता। जिस देश में वह रहा है उस देश का दायित्व बन जाता है कि वह देश ब्लैक लिस्ट आतंकी की गतिविधियों पर तथा उससे जुड़े संगठन पर बराबर नजर रखे। उस देश का यह भी दायित्व बन जाता है कि वह सभी नियमों का सख्ती से पालन करे।
जानकारों का मानना है कि मसूद अज़हर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस की उपज है जिसने हरकत-उल-मुजाहिदीन, जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, मिली-मुस्लिम लीग जैसे संगठनों को पाकिस्तान में चलाया और अंततः 'जैश- ए- मोहम्मद' आतंकी संगठन के माध्यम से सारे विश्व में संपर्क स्थापित किया। इसके साथ साथ ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों का सहयोग करता रहा ।
यह वही आतंकी है जो 1991 में फर्जी दस्तावेज बनाकर भारत में घुसा और कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया गया कर लिया गया । इसी संदर्भ में कुछ अन्य आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के जहाज का अपहरण किया और जिसे कंधार हवाई अड्डे पर ले जाकर जहाज को छोड़ने के बदले में इस आतंकी की रिहाई की मांग कर दी। 171 यात्रियों की जान को देखते हुए तत्कालीन भारत सरकार ने इस आतंकी को छोड़ दिया था।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि अमेरिका के ट्रेड सेंटर पर हुए हमले जिन आतंकियों ने किए उनसे भी मंजूर असर सहयोग करता रहा है।वह अलकायदा की मदद करता रहा है ।तभी अमेरिका चाहा रहा था कि पाकिस्तान इस आतंकी की समस्त गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दे। लेकिन अमेरिका चीन के विरोध के चलते कुछ कर नहीं पा रहा था।पाकिस्तान अपनी आतंकियों के प्रति सहयोग की नीति के कारण इस आतंकी पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा था।
वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद ओसामा बिन लादेन के इस मित्र पर कोई फर्क पड़ेगा या नहीं। क्या उसकी गतिविधियां कम होगी ? भारत के कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। ऐसा कुछ नहीं लग रहा है। पाकिस्तान की विदेश नीति में कश्मीर एक महत्वपूर्ण एजेंडा है जिसके क्या चलते पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद के खूंखार आतंकी पर लगाम लगा सकेगा। जाहिर है आतंकी सरगना अब किसी और नाम से काम करेगा और पाकिस्तान और अन्य आतंकी संगठनों की सहायता से कश्मीर में आतंकी गतिविधियां जारी रखेगा।
देवेंद्र धर